मल्हार में भाजपा को भीतरघात का झटका: तीन करोड़ के घोटालेबाज राजकुमार वर्मा की भूमिका सवालों के घेरे में

करोड़ों के घोटालेबाज वर्मा को आख़िरकार किसके संरक्षण मे नहीं हो रहा कार्यवाही,कौन दे रहा अभयदान?

रिपोर्टर। रूपचंद रॉय
बिलासपुर । बिलासपुर नगर पंचायत मल्हार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर मची खींचतान और भीतरघात ने पार्टी की नींव को हिला दिया है। उपाध्यक्ष चुनाव से लेकर प्रेसिडेंट इन कॉन्सिल (पीआईसी) गठन तक, हर स्तर पर पार्टी के भीतर अराजकता साफ दिखाई दे रही है। इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में वही राजकुमार वर्मा हैं, जिनपर वर्ष 2012-13 में मल्हार धान खरीदी केंद्र में तीन करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। पुलिस रिकॉर्ड में फरार चल रहे राजकुमार वर्मा पर अब संगठन को कमजोर करने और अलग गुट बनाने का भी आरोप लग रहा है।

उपाध्यक्ष चुनाव में खुली कलह, भाजपा की किरकिरी

नगर पंचायत मल्हार के उपाध्यक्ष चुनाव 19 मार्च 2025 को संपन्न हुए। कुल 16 पार्षदों में से भाजपा के 10, कांग्रेस के 4 और एक निर्दलीय पार्षद निर्वाचित हुए थे। अध्यक्ष पद भी भाजपा के पास था, जिससे कुल 11 वोट भाजपा के पक्ष में होने चाहिए थे।

लेकिन परिणामों ने सबको चौंका दिया। उपाध्यक्ष पद के भाजपा प्रत्याशी सुशील चौबे को केवल 9 वोट मिले। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को 4 वोट प्राप्त हुए, जबकि कांग्रेस के तीन पार्षद चुनाव का बहिष्कार कर चुके थे।
यह स्थिति साफ इशारा कर रही थी कि भाजपा के भीतर से ही दो पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की।

नगर में चर्चा है कि अध्यक्ष द्वारा मतदान के बाद एक महिला पार्षद से स्वयं यह स्वीकार किया गया कि उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया है। इसके समर्थन में एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हुई है, जिसमें जातीय आधार पर वोट देने के निर्देश दिए गए थे।

इस मामले की लिखित शिकायत जिला भाजपा अध्यक्ष को भी दी गई है। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।

पीआईसी गठन में भी अवहेलना, उपमुख्यमंत्री के निर्देशों की अनदेखी

उपाध्यक्ष चुनाव के बाद नगर पालिका परिषद में विकास कार्यों के प्रस्ताव पारित करने के लिए पीआईसी गठन आवश्यक होता है। नगर पालिका अधिनियम के अनुसार उपाध्यक्ष का पीआईसी में शामिल होना अनिवार्य है।

परन्तु नगर पंचायत मल्हार के अध्यक्ष द्वारा अपने ही पार्टी उपाध्यक्ष सुशील चौबे को पीआईसी में शामिल नहीं किया गया।
जबकि उपमुख्यमंत्री द्वारा बीजेपी जिला अध्यक्ष के माध्यम से सुशील चौबे को पीआईसी सदस्य बनाने के स्पष्ट निर्देश लिखित रूप में दिए गए थे।

सूत्रों के अनुसार, अध्यक्षपति ने राजकुमार वर्मा के दबाव में उपमुख्यमंत्री के निर्देशों की अवहेलना की। इससे न सिर्फ पार्टी की छवि को आघात पहुंचा बल्कि नगर पंचायत के विकास कार्य भी ठप हो गए हैं।

कौन है राजकुमार वर्मा?

> नाम: राजकुमार वर्मा

पद: मल्हार नगर पंचायत के प्रभावशाली भाजपा नेता

घोटाले का आरोप: वर्ष 2012-13 के धान खरीदी घोटाले में तीन करोड़ रुपए का आरोप

पुलिस रिकॉर्ड: फरार दर्ज

राजनीतिक भूमिका: संगठन में भीतर से गुटबाजी फैलाने का प्रयास

वर्तमान गतिविधि: भाजपा नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उकसाना

नगर में यह आम चर्चा है कि राजकुमार वर्मा नगर पंचायत अध्यक्ष और अध्यक्षपति को अपने प्रभाव में लेकर न केवल संगठन विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, बल्कि विकास कार्यों में भी जानबूझकर बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।

संघ से जुड़े तृतीय वर्ष प्रशिक्षित कार्यकर्ता की संदिग्ध भूमिका

एक अन्य बड़ा पहलू यह भी है कि मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के एक तृतीय वर्ष संघ प्रशिक्षित कार्यकर्ता भी इन गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि यह कार्यकर्ता भी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट का प्रबल दावेदार है और इसलिए वह संगठन में एक अलग गुट खड़ा करने की कोशिश में लगा है।

नगर पंचायत के अध्यक्ष और अध्यक्ष पति को भी यही व्यक्ति व राजकुमार वर्मा लगातार भाजपा के निर्देशों की अवहेलना करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

प्रमाण सहित शिकायत, अब संगठन की परीक्षा

नगर पंचायत मल्हार के भीतर इस राजनीतिक साजिश और घोटालों के प्रमाण सहित शिकायतें जिला भाजपा नेतृत्व को सौंपी जा चुकी हैं।
अब यह देखना रोचक होगा कि:

क्या जिला भाजपा अध्यक्ष इन प्रमाणों के आधार पर कार्रवाई करेंगे?

क्या भाजपा नेतृत्व राजकुमार वर्मा और उनके समर्थक गुट पर नकेल कस पाएगा?

क्या संघ संगठन तृतीय वर्ष प्रशिक्षित उस कार्यकर्ता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा जो गुटबाजी कर रहा है?

नगरवासियों के बीच यह असंतोष गहराता जा रहा है कि राजनीतिक कलह के चलते नगर पंचायत मल्हार में विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो चुके हैं।

Jay Johar

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