

रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का एक प्रमुख पदाधिकारी प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक और हिंसक बयान देता दिखाई दे रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह वीडियो जुलाई माह का है। उस समय छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने पचपेड़ी नाका का नाम बदलने के विरोध में आंदोलन किया था। प्रदर्शन के दौरान संगठन के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कैमरे के सामने मुख्यमंत्री को लेकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया और यहां तक कह दिया कि “मुख्यमंत्री को मार देंगे।” इतना ही नहीं, वीडियो में दो बार “मारने” और “काटने” जैसी धमकी भरी बातें स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती हैं।
कैसे सामने आया वीडियो? : स्थानीय यूट्यूब चैनल ने प्रदर्शन के समय उक्त पदाधिकारी से सवाल-जवाब किए थे। उसी इंटरव्यू का हिस्सा अब सोशल मीडिया पर दोबारा वायरल हो रहा है। वीडियो सामने आते ही प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी और सामाजिक संगठन इसे प्रदेश में अराजकता फैलाने की कोशिश बता रहे हैं।
राष्ट्रवादी संघ का आक्रोश : इस वीडियो पर छत्तीसगढ़ राष्ट्रवादी संघ के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दुबे ने स्वयं वीडियो बनाकर पुलिस प्रशासन और भाजपा नेताओं को चेताया है कि ऐसे बयानों को गंभीरता से लेकर तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा— “छत्तीसगढ़ के राजनीतिक ग्लोब में कुछ बरमूडा ट्राएंगल उपस्थित हैं, जो नगण्य होते हुए भी बहुत अमानवीय हैं। इन्हें सीधी लाइन में लाने की जरूरत है। मेरी भाषा राजनीतिक योद्धाओं को जरूर समझ आएगी।” दुबे ने अपने पोस्ट में “जय श्रीराम” और “जय छत्तीसगढ़” का नारा भी लगाया।
क्यों अहम है यह मामला? : राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी न केवल लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है बल्कि इससे प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है।
पचपेड़ी नाका विवाद पहले से ही संवेदनशील मुद्दा माना जाता है। अब मुख्यमंत्री को धमकी देने वाला यह वीडियो माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है। सोशल मीडिया पर वायरल होने से मामला केवल एक संगठन तक सीमित न रहकर पूरे प्रदेश की राजनीति में बहस का केंद्र बन गया है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस प्रशासन इस वीडियो की जांच कर सकता है। यदि इसमें आपराधिक धमकी और भड़काऊ भाषण का मामला सिद्ध होता है तो संबंधित पदाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह वीडियो आने वाले समय में विधानसभा चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को निशाना बनाया गया है।